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जालंधर के इस कोलोनाईज़र के पास हैं जादुई शक्तियां, बिना मलकीयत बेच दिए प्लाट !

PUBLISH DATE: 20-01-2025

सरकार के साथ-साथ ज़मीन मालिक व गरीब खरीदारों के साथ किया धोखा, इंतकाल दर्ज करवाने के लिए खा रहे दर-दर की ठोकरें


सीएम, डीसी एवं विजीलैंस के पास शिकायत किए जाने की हो रही तैयारी


 


जालंधर के कुछ दबंग किस्म के कालोनाईज़र (COLONIZER) ऐसे हैं, जिन्हें न किसी कानून का कोई भय है और न ही नियमों की कोई परवाह। ऐसा ही एक मामला जालंधर के एक कालोनाईज़र का सामने आ रहा है, जिसमें जगह कम खरीदी गई मगर बाद में बिना मलकीयत (यानि कि मालिकाना हक न होते हुए) लगभग दोगुनी ज़मीन बेच कर न केवल सरकार बल्कि ज़मीन मालिक एवं गरीब खरीदारों के साथ सरेआम धोखा किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मौजूदा समय के अंदर रोज़ना 8 से 10 खरीदार जिनके साथ घोखा किया गया है, वह तहसील में संबंधित पटवारी के पास चक्कर काट रहे हैं और अपने प्लाट (PLOT) का इंतकाल दर्ज करने की गुहार लगा रहे हैं। इतना ही नहीं इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी शिकायत प्रदेश के सीएम भगवंत सिंह मान CM BHAGWANT SINGH MAAN (सीएम विंडो - CM WINDOW द्वारा), डीसी हिमांशु अग्रवाल (DC HIMANSHU AGGARWAL) एवं विजीलैंस विभाग (VIGILENCE DEPARTMENT) के पास किए जाने की भी तैयारी हो रही है, ताकि दोषियों के खिलाफ बनती कारवाई की जा सके और गरीब खरीदारों को इंसाफ प्राप्त हो सके।


क्या है मामला, कैसे हुई इतनी बड़ी धोखाधड़ी ?


सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त मामला जालंधर के बुलंदपुर (BULANDPUR) इलाके का है, जिसमें साल 2023 के अंदर एक ज़मीन जिसका रकबा लगभग 4 कनाल 2 मरले बनता है, खरीदा गया और वहां पर प्लाटिंग (PLOTTING) कर दी गई। वैसे तो यह प्लाटिंग भी सवालों के घेरे मे आती है, मगर एक बार कुछ देर के लिए अवैध कालोनी काटने की बात को छोड़ भी दिया जाए, ताे बिना मालिकाना हक के लगभग दोगुनी ज़मीन बेचकर धोखा करने के मामलो को किसी भी कीमत पर छोटा नहीं ठहराया जा सकता। 


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त ज़मीन को खरीदने वाले खरीदार 'व' अक्षर एवं 'र' अक्षर नाम के दो कालोनाईज़र ने खरीदी थी। यहां बताने लायक है कि इससे पहले भी उक्त कालोनाईज़र बहुत बड़े पैमाने पर बिना एनओसी के नगर निगम की जाली क्लासीफिकेशन लगाकर दस्तावेज़ रजिस्टर करवाने को लेकर चर्चा में आ चुके हैं। इनकी तगड़ी सैटिंग व ऊंची पहुंच का इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इनके पास मालिकाना हक न होते हुए भी तहसील के अंदर बिना किसी चैकिंग व रोक-टोक के इनकी रजिस्ट्रयां बदस्तूर हो रही हैं। और गरीब लोग जो अपनी गाढ़ी खूुन-पसीने की कमाई से पूरे जीवनकाल के अंदर केवल एक बार अपने सपनों का आशियाना, अपना घर खरीद रहे हैं उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। 


इस बारे में जब कालोनाईज़र को फोन किया गया तो उन्होंने कहा कि वह कहीं व्यस्त हैं, जैसे ही समय मिलेगा वह इस मामले में अपना पक्ष देंगे, मगर बाद में फोन मिलाने पर उठाना बंद कर दिया।


वहीं दूसरी तरफ इस मामले में संबंधित तहसीलदार का कहना है कि उनके पास इस संबधी कोई शिकायत नहीं आई है, मगर जैसे ही कोई शिकायत आएगी, वह उसकी जांच अवश्य करवाएंगे और अगर कोई कसूरवार पाया जाता है, ताे उसके खिलाफ बनती कानूनी कारवाई के लिए सिफारिश भी की जाएगी।